मिले थे जिस ख़याल से फिर वो ख़याल लें चले मिले थे जिस ख़याल से फिर वो ख़याल लें चले
मौन उचित समय का एक सही अंदाज हैं मुस्कान चाहत कि एक शुरुआत हैं ! मौन और मुस्कान समायोचीत रखे.. मौन उचित समय का एक सही अंदाज हैं मुस्कान चाहत कि एक शुरुआत हैं ! मौन और मुस्कान...
गुस्से में क्या से क्या हम बोल ज़ाते हैं अरे अपनी तहजीब में कुछ तो शराफत लाओ यारों। गुस्से में क्या से क्या हम बोल ज़ाते हैं अरे अपनी तहजीब में कुछ तो शराफत लाओ ...
ला साकी थोड़ी तो और शराब ला सागर को छलकने दे जी भर के तू अभी अंजुम की रोशनी में भी खि ला साकी थोड़ी तो और शराब ला सागर को छलकने दे जी भर के तू अभी अंजुम की रोशन...
फुरसत के पलों में कुछ अच्छा करते हैं चलो आज खुद से रुबरु होते हैं फुरसत के पलों में कुछ अच्छा करते हैं चलो आज खुद से रुबरु होते हैं
अपनी तहज़ीब, मर्यादा लोग भूल गये है, ऐसे कोई अपने शरीर के कपड़े बदलता है, जैसे अपनी तहज़ीब, मर्यादा लोग भूल गये है, ऐसे कोई अपने शरीर के कपड़े बदलता है, जैसे